डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के प्रकार | Types of Display Technology in Hindi

हेलो दोस्तों आज हम जानेगे कि डिस्प्ले टेक्नोलॉजी कितने प्रकार की होती है, types of display technology in hindi डिस्प्ले कितने प्रकार के होते हैं display types in hindi और सभी डिस्प्ले टेक्नोलॉजी में क्या अंतर है difference between display technologies in hindi और क्या समानताएं हैं।

डिस्प्लै टेक्नोलॉजी के अंदर बीते कुछ समय में कई बदलाव हुए हैं बहुत सी नयी डिस्प्ले टेक्नोलॉजी उपलब्ध हैं , पर कौन सी टेक्नोलॉजी के लिए हमें प्रीमियम पेमेंट करना चाहिए इसकी हमें जानकारी नहीं है जैसे कि OLED और QLED टेक्नोलॉजी एक जैसी ही लगती हैं किन्तु यह दोनों एक दूसरे से बहुत ही अलग है.

टेक्नोलॉजी के नजरिये से देखा जाए तो डिस्प्ले (display) में होने वाले बदलाव यूजर के लिए अच्छा होता है किन्तु डिस्प्ले खरीदने के समय यही टेक्नोलॉजी यूजर को confuse करती है इस समस्या को दूर करने के लिए हमने यह लेख तैयार किया है और सभी प्रकार के display के लाभ और हानि को बताया है जिससे आप अपना नया मॉनिटर , टीवी या स्मार्टफोन लेते समय सहीं डिस्प्ले टेक्नोलॉजीज का चुनाव कर सके.

एलसीडी (LCD in Hindi)

LCD in hindi

एलसीडी डिस्प्ले टेक्नोलॉजी (LCD Display Technology) एक पुरानी टेक्नोलॉजी है जो कि  दो प्राइमरी कंपोनेंट्स से मिलकर बनते हैं , बैकलीगत और लिक्विड क्रिस्टल लेयर ।

लिक्विड क्रिस्टल (Liquid Crystal) छोटे रोड के शेप में मॉलिक्यूल (Molecules) होते हैं जो इलेक्ट्रिक करंट के कारण अपना ओरिएंटेशन बदलते हैं , इसके इस प्रॉपर्टी को हम लाइट को allow या block करने के लिए उपयोग करते हैं , यह process कलर फ़िल्टर के द्वारा अलग अलग subpixel produce करती है.

यह red,green,blue प्राइमरी कलर होते हैं जो कि मिलकर सभी color को produce करते हैं , एक उचित दिशा और डिस्टेंस से हम इन pixels को भी अपने आँखों से देख सकते हैं.

जैसे कि लिक्विड क्रिस्टल स्वयं ही light produce नहीं कर सकते हैं एलसीडी को white backlight के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है लिक्विड क्रिस्टल लेयर लाइट को pass होने देता है जिस प्रकार की image उसे डिस्प्ले करनी होती है

ट्विस्टेड नेमटिक (Twisted nematic) या TN in Hindi

यह फर्स्ट एलसीडी टेक्नोलॉजी है जो कि  20th Century में Developed की गयी थी इसके आने से इसने CRT डिस्प्ले को replace कर दिया.

TN पैनल में Liquid Crystal Display Twisted Form में होते हैं जब यह default of state में होता है तो यह लाइट को 2 पोलोरीज़िंग फ़िल्टर (Polarizing Filter) द्वारा पास होने देता है लेकिन जब वोल्टेज इस पर apply किया जाता है तो यह अपने को untwisted कर लेता है जिससे यह लाइट को block करता है.

TN पैनल कई वर्षों से calculator, digital watch आदि में उपयोग होता रहा है इनमे आपको डिस्प्ले के पावर सेक्शन की आवश्यकता होती है जहाँ आपको लाइट की आवश्यकता नहीं तो है दूसरे शब्दों में यह टेक्नोलॉजी एनर्जी एफ्फिसिएंट होती है और इन्हे बनाने में लागत भी काम आती है।

TN पैनल के कई मेजर डाउनसाइड भी हैं जैसे इसके व्यइंग एंगल बहुत अच्छे नहीं होते हैं कलर की एक्यूरेसी भी अच्छी नहीं होती है क्योकि अधिकतर सुब पिक्सेल 6 बिट की ब्राइटनेस ही आउटपुट कर सकते हैं जो कि कलर आउटपुट को 26 (64 ) shade रेड ग्रीन ब्लू में लिमिट कर देते हैं जो कि  8 बिट या १० बिट के डिस्प्ले से बहुत कम है जो कि 256 से लेकर 1024 शेड्स  तक कलर प्रोडूसेड कर सकते हैं  दर्शा सकते हैं।

TN पैनल अभी भी कई जगह use किया जाता है आपको लौ एन्ड डिवाइस जैसे सस्ते मॉनिटर , लैपटॉप आदि में TN Panel मिलता है और यह gamers में बहुत ही popular है क्योकि यह low response time प्रदान करता है.

लाभ

सस्ती प्रोडक्शन कॉस्ट

कम एनर्जी की आवश्यकता

फ़ास्ट रिस्पांस टाइम

हानि

लो कलर एक्यूरेसी

viewing angle का अच्छा न होना

कम contrast value

इन प्लेन स्विचिंग (IPS in Hindi)

डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के प्रकार

IPS या in plain switching technology में tn panel की तुलना में image quality बेहतर होती है.

twisted ओरिएंटेशन के स्थान पर आईपीएस डिस्प्ले में लिक्विड क्रिस्टल parallel oriented रहते हैं default state में light ब्लाक होती है जो कि TN panel के ठीक विपरीत है और जब voltage apply की जाती है तो crystal same plane में rotate होती है जिसके कारण इस technology को in plane switching कहा जाता है.

IPS display को TN panel से बेहतर viewing engles के लिए develope किया गया था किन्तु यह कई और benefit प्रदान करते हैं जैसे higher color accuracy, bit depth आदि.

TN panel sRGB ब color को सपोर्ट करते हैं किन्तु IPS panel expansive gamuts को सपोर्ट करते हैं जो कि HDR content और creative professionals के लिए आवश्यक होती है.

आईपीएस डिस्प्ले में कुछ माइनर compromises भी की गयी है यह TN panel जितनी energy efficient नहीं है और TN panel जितनी सस्ती भी नहीं है  लेकिन आपको color accuracy चाहिए और अच्छे viewing angle चाहिए तो IPS display panel अच्छा विकल्प है.

लाभ

अच्छी viewing angle का होना

बहुत ही अच्छी color accuracy

हानि

TN panel की तुलना में slow response time

energy की अधिक खपत

Vertical Alignment (VA in Hindi)

VA panel में liquid crystal hotizontal के स्थान पर vertical align होते हैं दुसरे शब्दों में कहें तो यह panel पर perpendicular होते हैं न कि IPS panel की तरह parallel.

यह vertical arrangement, backlight को डिस्प्ले के अधिक सामने आने से block करती है जिसके कारण VA panel deep black और better contrast प्रदान करते हैं यदि हम अन्य LCD types की तुलना करें, जहाँ तक बात है color gamut और bit depth की तो VA panel, IPS के बराबर होते हैं.

यदि हम VA panel की खामियों की बात करें तो पहले के VA panel, slow reponse time,  प्रदान करते थे जिससे ghosting effect, object यदि move कर रहा है तो उसकी shadow दिखाई देती थी और इसका कारण है VA panel का arrangement जो कि crystal के orientation change में समय लगता है.

कुछ कंपनी जैसे कि LG, pixel overdrive technology की सहायता से response time को बेहतर बनाने में लगी हुई है.

VA panel की viewing angle भी IPS की तुलना में कम होती है किन्तु TN panel की तुलना में यह बहुत अधिक बेहतर है.

लाभ

बहुत ही अच्छी contrast का होना

अच्छी color accuracy

हानि

viewing angle का अच्छा न होना

स्लो रिफ्रेश रेट

आर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड (OLED in Hindi)

types of display technology in hindi

Organic light emitting diod , यह एक carbon base आर्गेनिक कंपाउंड होता है  यह कंपाउंड electroluminescent होते हैं जिसका अर्थ है electric current के response में यह light emit करते हैं.

OLED , LCD से कैसे अलग है यह बहुत आसानी से समझा जा सकता है , इससे पहले के डिस्प्ले टाइप, जैसा कि OLED अपना स्वयं का light emit करते हैं यह एक emissive technology है दुसरे शब्दों में कहें तो OLED के लिए हमें backlight की आवश्यकता नहीं होती है इसके कारण ही OLED, LCD से पतले और हल्के होते हैं.

जैसे कि oled डिस्प्ले में सभी molecule emissive होते हैं तो आप यह control कर सकते हैं कि कोई particular pixel , lit up होगी या नहीं, current को हटा देने से pixel turn off हो जाते हैं, इस कारण से OLED panel में black level बहुत ही अच्छा देखने को मिलता है और turn off pixel के कारण power consumption भी कम होती है.

OLED में हमें high color accuracy देखने को मिलती है और यह versatile भी है foldable smartphone जैसे सैमसंग फ्लिप सीरीज में AMOLED का उपयोग किया गया है.

लाभ

color accuracy का अच्छा होना

viewing angles का wide होना

बहुत ही अच्छी contrast

LCD से ज्यादा bright होना

हानि

महँगी होना

बहुत अधिक उपयोग के बाद burn issue

मिनी लाइट एमीटिंग डायोड (MINI LED in Hindi)

mini LED को backlight के level में image quality को improve करने के लिए बनाया गया है normal lcd में on और off केवल दो ही mode होते हैं जिसका अर्थ है कि डिस्प्ले को crystal layer पर light block करने के लिए निर्भर रहना पड़ता है  और ऐसा न होने पर black के स्थान पर हमें gray color दिखाई देती है.

कुछ displays के backlight को LED zones में divide कर दिया गया है जिन्हें अलग अलग control किया जा सकता है और इन्हें dimmed या turn off किया जा सकता है जिसके कारण यह display अच्छी black level और higher contrast प्रदान करते हैं और dark scenes में इनके अंतर को साफ़ देखा जा सकता है, इस technology को local dimming कहा जाता है.

mini led जैसा की नाम से ही जानकारी मिलती है यह छोटे led होते हैं और यह 0.008 inch के होते हैं.

Mini LED की आवश्यकता क्यों?

mini led manufacturer को local dimming zone बनाने की अनुमति देता है जो कि सौ से लेकर कई हजार हो सकते हैं जितने अधिक dimming zone होंगे उतने ही अधिक backlight के ऊपर control होगा और यह छोटे डिवाइस जैसे smartphone, laptop, tabletआदि के लिए भी perfect होंगे.

normal led की तुलना में mini led पर bright object किसी black बैकग्राउंड में बहुत ही अच्छी दिखाई देती है किन्तु contrast ratio OLED जितनी नहीं होती है.

भविष्य में mini led बेहतर contrast प्रदान करेगी जैसे जैसे local dimming technology का अच्छे से इनमे प्रयोग होने लगेगा और नए सुधार होंगे.

लाभ

deeper black और अच्छी contrast

अच्छी ब्राइटनेस

हानि

महँगी

backlight को repair करना अत्यधिक कठिन कार्य

माइक्रो लाइट एमीटिंग डायोड (Micro LED in Hindi)

Micro LED display type में सबसे नयी type है, micro led display mini led से भी छोटे LED का उपयोग करती है, अधिकतर mini LED 200 microns की size की होती है किन्तु microLED 50 microns की होती है.

उदाहरण के लिए मनुष्य के बाल 75microns की होती है और microLED उससे भी छोटी है.

छोटे होने की वजह से आप पुरे display को microLED द्वारा बना सकते हैं जिसका result emissive display होगा जो कि OLED की तरह होगा किन्तु इसमें उसकी कोई कमियाँ नहीं होंगी.

इसमें कोई backlight भी नहीं है इसके कारण pixel को पूरी तरह से turn off किया जा सकता है जिससे कि deep black दिखाया जा सके, यह technology बहुत ही अच्छी contrast ratio और wide viewing angles प्रदान करती है.

brightness की बात करें तो microLED display इस मामले में सभी technologies को पीछे छोड़ देती है high end OLED display 2000 nits की brightness प्रदान करते हैं वहीँ manufacturer का दावा है कि microLED 10000 nits brightness प्रदान कर सकते हैं.

microLED modular होते हैं manufacturer द्वारा छोटे microLED panel का उपयोग कर एक बड़ा video wall बना कर दिखाया गया था, सैमसंग द्वारा flagship the Wall micro LED display 72 से लेकर 300 inch तक दिखाया गया था वैसे इसकी price मिलियन डॉलर में थी जिससे कि पता चलता है कि यह हर ग्राहकों के लिए नहीं लेकिन यह आने वाले भविष्य के display technology को दर्शाता है.

कुछ वर्षो बाद microLED display सभी के लिए उपलब्ध हो जाएंगे और सस्ते भी क्योंकि OLED को आए कई वर्ष हो गए हैं और नए technology की आवश्यकता भी है.

लाभ

highest brightness किसी भी display type की बात करें.

बहुत ही अच्छी contrast ratio.

हानि

बहुत अधिक महँगी टेक्नोलॉजी

छोटे साइज़ और लोगो के लिए उपलब्ध नहीं.

तो यह रहे वह सभी display technology जो बाजारों में उपलब्ध हैं बेस्ट display का चयन आपको किस feature की अधिक आवश्यकता है उसके आधार पर कर सकते हैं.

क्वांटम डॉट डिस्प्ले (Quantum Dot Display in Hindi)

बहुत से mid range television के बिकने का कारण quantum dot display है और इसका उपयोग बहत ही common होता जा रहा है, quantum dot display कोई ने panel technology नहीं है बल्कि यह LCD panel में additional layer की तरह कार्य करती है.

ट्रेडिशनल एलसीडी में सफ़ेद लाइट बहुत से फ़िल्टर के बीच से होकर गुजरती है जिससे की specific color प्राप्त किया जा सके यह approch कार्य तो करती है किन्तु हर परिस्थिति में नहीं , बहुत से पुराने display types RGB color gamut को full सपोर्ट करते हैं किन्तु wider gamut जैसे DCI-P3 के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है यह color gamut HDR content के लिए उपयोग किया जाता है.

ऐसे में quantum dot सहायता करते हैं जो कि छोटे crystal होते हैं जो color emit करते हैं जब भी उन पर blue या ultraviolet light पड़ती है जिसके कारण quantum dot display, white के स्थान पर blue backlight का उपयोग करती है.

quantum dot display में कई billion nano crystal एक thin film में होते हैं, और जब backlight on होती है तो यह crystal green और red के specific shades को produce करते हैं यह shades crystal के आकार पर भी निर्भर करता है.

ट्रेडिशनल एलसीडी कलर फ़िल्टर के साथ इसे जोड़ा जाता है तो quantum dot display बहुत अधिक light spectrum को cover करता है जिससे कि accurate color हमें दिखाई देते हैं और HDR का आनंद हम इस quantum dot के कारण ले सकते हैं, इससे brightness भी traditional LCD की तुलना में अच्छी देखने को मिलती है क्योंकि यह crystal अपना स्वयं का light emit करते हैं.

इतने सब improvement होने के बाद भी quantum dot display, LCD के viewing angle और contrast को improve नहीं कर सकते हैं उन सब मामलों में OLED सबसे बेहतर है.

लाभ

अच्छी color accuracy

हाई ब्राइटनेस का होना

हानि

लो कंट्रास्ट

स्लो रिस्पांस टाइम

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निष्कर्ष : Types of Display Technology in Hindi

आज हमने जाना कि display technology किसे कहते हैं, what is display technology in hindi डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के प्रकार types of display technology in hindi, भिन्न display technology के लाभ और हानि, और भी बहुत कुछ.

यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो दूसरों तक भी अवश्य share करें और इस जानकारी से आपको क्या लाभ हुआ यह हमें कमेंट में अवश्य बताएं, धन्यवाद|

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